संवाददाता - सन्तोष उपाध्याय
लखनऊ: सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें “AI आधारित व्यक्तिगत शिक्षा नीति 2050 (Future Learning Vision Policy)” का खाका प्रस्तुत किया गया है। इस प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश को शिक्षा नवाचार की राजधानी और वैश्विक ज्ञान केंद्र बनाने की परिकल्पना की गई है।
पाठ्यपुस्तकों से टेक्नोलॉजी तक, कक्षाओं से क्लाउडरूम तक
डॉ. सिंह ने कहा, “शिक्षा किसी भी राज्य की सबसे बड़ी पूंजी है। जब पूरी दुनिया कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) को अपना रही है, तब उत्तर प्रदेश को भी भविष्य की शिक्षा व्यवस्था की दिशा में निर्णायक कदम उठाना चाहिए।”
उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विद्वान हावर्ड गार्डनर का उद्धरण देते हुए कहा कि 2050 तक पारंपरिक कक्षाओं का स्थान AI संचालित, जिज्ञासा-आधारित और परियोजना-केंद्रित शिक्षा मॉडल लेंगे।
* शिक्षक अब शिक्षणकर्ता नहीं, बल्कि लर्निंग मेंटर की भूमिका निभाएंगे, जो विद्यार्थियों की जिज्ञासा, रचनात्मकता और नवाचार को दिशा देंगे।
* परियोजना आधारित शिक्षा, टीमवर्क और वास्तविक समस्याओं के समाधान पर बल दिया जाएगा।
* शिक्षकों को AI उपकरणों की मदद से प्रत्येक छात्र की प्रगति को ट्रैक करने की सुविधा मिलेगी।
* प्रत्येक छात्र को टैबलेट, इंटरनेट और विश्वसनीय बिजली की सुविधा दी जाएगी।
* ₹10,000 करोड़ का डिजिटल इक्विटी फंड स्थापित किया जाएगा, जिससे हार्डवेयर, कनेक्टिविटी और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।
* वर्ष 2030 तक 1 लाख AI-सक्षम स्मार्ट स्कूल स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
* रटने पर आधारित परीक्षाओं की जगह निरंतर मूल्यांकन प्रणाली लागू की जाएगी।
* AI उपकरणों के माध्यम से छात्रों की कौशल, योग्यता और रचनात्मकता का आकलन किया जाएगा, न कि केवल याददाश्त का।
* अर्ली-इंटरवेंशन एनालिटिक्स के माध्यम से कमजोर छात्रों की पहचान कर उन्हें विशेष सहायता प्रदान की जाएगी।
* AI टीचर ट्रेनिंग मिशन के अंतर्गत 10 लाख शिक्षकों को भविष्य की शिक्षा के अनुरूप प्रशिक्षित किया जाएगा।
* यह प्रशिक्षण डिजिटल अकादमियों, ऑनलाइन सिमुलेशन और क्षेत्रीय शिक्षण केंद्रों के माध्यम से होगा।
* AI-संयुक्त शिक्षण पद्धति अपनाने वाले शिक्षकों को विशेष मान्यता और प्रोत्साहन दिया जाएगा।
* AI अनुवाद उपकरणों की मदद से शिक्षण सामग्री को सभी प्रमुख भारतीय और क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार किया जाएगा।
* ग्रामीण, जनजातीय और अल्पसंख्यक छात्रों को समान अवसर दिए जाएंगे।
* हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में AI आधारित डिजिटल पुस्तकालयों और इंटरएक्टिव कंटेंट का विकास किया जाएगा।
* “AI in Education Regulatory Board” की स्थापना की जाएगी।
* भेदभाव और दुरुपयोग से बचाव हेतु नैतिक ढांचे तैयार किए जाएंगे।
* छात्रों के डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता को वैश्विक मानकों के अनुरूप सुनिश्चित किया जाएगा।
* “उत्तर प्रदेश फ्यूचर लर्निंग मिशन 2050” की स्थापना की जाएगी।
* सरकारी और निजी स्कूलों में AI, IoT और VR आधारित शिक्षण उपकरणों का समावेश किया जाएगा।
* वैश्विक विश्वविद्यालयों और एडटेक नवप्रवर्तकों के साथ साझेदारी की जाएगी।
* लखनऊ-कानपुर क्षेत्र को AI शिक्षा और नवाचार केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
* यहां AI अनुसंधान प्रयोगशालाएं, शिक्षक अकादमियां और स्मार्ट विश्वविद्यालय परिसरों का निर्माण होगा।
* उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर और AI सिटी प्रोजेक्ट्स से इसे जोड़ा जाएगा ताकि कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा मिले।
* रचनात्मकता, नवाचार और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहन मिलेगा।
* ग्रामीण और शहरी शिक्षा के बीच की खाई समाप्त होगी।
* AI-सक्षम, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी युवा शक्ति का निर्माण होगा।
* वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को भारत की AI शिक्षा राजधानी के रूप में स्थापित किया जाएगा।
डॉ. सिंह ने कहा - “यह कोई राजनीतिक प्रस्ताव नहीं है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों में ज्ञान और सशक्तिकरण के निवेश का संकल्प है।”
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस नीति के लिए एक मुख्यमंत्री स्तर की टास्क फोर्स गठित की जाए, जो रोडमैप तैयार करे और पायलट प्रोजेक्ट शुरू करे।
डॉ. सिंह ने निष्कर्ष में कहा - “उत्तर प्रदेश को भारत की शिक्षा क्रांति का नेतृत्व करना चाहिए, पीछे नहीं चलना चाहिए। भविष्य की कक्षा डिजिटल, गतिशील और समावेशी होगी। उत्तर प्रदेश को इस परिवर्तन का अग्रदूत बनना होगा।”
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